लेखनी प्रतियोगिता -14-Dec-2022
🌹महफिल कि भीड़ मे खो गई 🌹
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मैं तो उसी महफिल में थी,
खोई खोई सी अदृश्य थी।
हां मैने भी सुनी थी,
भीड़ में खुसुर फुसर थी।
जाम हाथ में दिखा था रमा के,
पीने की ईच्छा नहीं थी,
तुम्हारे रुप को निहारने की ईच्छा जो थी।
बुलाने में बहुत देर कर दी तुमने थी ,
ईश्वर को शायद मंजूर यही था,
आओ वादा करे नहीं करेंगे देर अगले जन्म में,
एक दूसरे को बुलाने में,
नही खोएंगे किसी भी महफिल में।।
विजय पोखरणा "यस"
Sachin dev
15-Dec-2022 05:32 PM
Amazing
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Abhinav ji
15-Dec-2022 09:18 AM
Very nice👍👍
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